लंदन में किरायेदार लड़की की चूत गांड चोदी- 3

पेनफुल सेक्स विद हॉट गर्ल का मजा मुझे दिया मेरी किरायेदार लड़की ने जो रात को शराब पीकर आई थी और खुद से उसने मेरे साथ सेक्स की शुरुआत की थी.

दोस्तो, मैं मानस पाटिल पुन: आपके लंड चूत को गर्म करने वाली सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
पर्दानशीं लड़की नंगी होकर चुद गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने अपने लंड को सोहा की चूत से निकाल तो उसकी चूत की रबड़ी मेरे लौड़े पर लग चुकी थी और मैं अपने उस सने हुए लंड को सोहा के मुँह से साफ करवाने के लिए उससे कह रहा था.
सोहा कुछ असमंजस में थी क्योंकि शायद उसे मेरा सना हुआ लंड चूसने में कुछ हिकारत सी हो रही थी.

अब आगे पेनफुल सेक्स विद हॉट गर्ल का मजा:

उसके गले का बेल्ट खींच कर मैंने उसका मुँह मेरे लौड़े पर दबाते हुए कहा- अब क्या हुआ छिनाल … देख कैसे रंडी जैसे चुदी है तू इसी लौड़े से माँ की लौड़ी … साली मुँह खोल और चूस बहन की लौड़ी!

मन मारकर सोहा ने थोड़ा सा ही मुँह खोला तो मैंने जोर से धक्का देते हुए लंड उसके मुँह में घुसा दिया.
उसके खुले बालों को मुट्ठी में भरते हुए मैं फिर से एक बार उसका मुँह चोदने लगा.

सोहा न चाहते हुए भी मेरे लौड़े को चूसने लगी.

जब खुद की चूत के रस का स्वाद उसके मुँह में घुलने लगा तो शायद उसे भी वह स्वाद पसंद आ गया और कुछ ही पल में वह फिर से एक बाजारू रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने लगी.

सुपारा अब सोहा के गले तक घुसकर बाहर आ रहा था.
उसके मुँह की नर्म नर्म और गर्म मालिश से मेरे लंड की सारी नसें फूलकर साफ़ दिखाई देने लगी थीं.

मैं बिस्तर के बगल में नीचे जमीन पर खड़ा हो गया और सोहा का मुँह चोदने लगा.

वह बिस्तर पर कुतिया की तरह झुककर मेरे लौड़े से अपना मुँह चुदवा रही थी.
तभी मेरा ध्यान सोहा की भरी हुए गांड की तरफ गया.

सोहा की गांड पर हाथ फेरते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रखी तो सोहा का बदन ख़ुशी से कांप उठा.
उसको शायद मेरे ऐसे करने से मजा आने लगा था और इसी लिए वह जोर जोर से लंड चूसने लगी.

उसकी जीभ मेरे लौड़े के सुपारे को ऐसे चूसने लगी जैसे कोई बच्ची लॉलीपॉप चूस रही हो.
मेरे टट्टों पर उसकी कोमल उंगलियां एक अलग ही जादू चला रही थीं.

जैसे जैसे मैं उसकी गांड का छेद अपनी उंगली से कुरदने लगा, वैसे वैसे सोहा और ज्यादा गर्माने लगी.
वह ख़ुद अपनी गांड आगे पीछे करने लगी और उसने मेरी उंगली पर अपनी गांड का छेद घिसना चालू कर दिया.

उसका जोश देख कर मैंने भी अपनी एक उंगली धीरे से उसकी गांड में घुसा दी तो सोहा एकदम से उछल पड़ी.

मेरा लौड़ा अपने मुँह से बाहर निकाल कर वह उसे अपने मुट्ठी में दबा कर मुझे देखने लगी.

उसकी नशीली आंखों से और चेहरे की ख़ुशी से मैं समझ गया कि लौंडिया गांड भी चुदवाने के चक्कर में है.

मुझे तो आज की रात लॉटरी लग चुकी थी.
एक तो जवान लड़की और ऊपर से गांड चुदाई की शौक़ीन.

मैंने भी उसका जोश बढ़ने के लिए अपना थूक उसकी गांड पर थूका और उंगली से उसकी गांड के छेद की मालिश करने लगा.
धीरे धीरे एक एक करके मैंने मेरी तीन उंगलियां आसानी से सोहा की गांड में घुसा दीं.

मेरे टट्टों को अपने मुँह में भरते हुए सोहा भी ख़ुद अपनी गांड पीछे करके मेरी उंगलियों से गांड चुदवा रही थी.
एक हाथ से मैं उसके नगाड़े जैसे चूतड़ फैलाते हुए जोर जोर से अपनी उंगलियां उसकी गांड में घुसा रहा था.

बड़ी देर तक उसने मेरे लौड़े को चूसने के बाद मेरे तरफ देख कर बोली- बहनचोद, बस उंगली से चोदेगा क्या मेरी गांड? घुसा ना जल्दी से लौड़ा … कुत्ते!

सोहा का चुदाई में जोश और हवस देख कर तो मैं हैरान हो चुका था.
लगभग अपने बाप की उम्र के आदमी के साथ चुदाई करने में उसे जरा भी शर्म लज्जा नहीं थी.

खैर … मेरी कौन सी वह सगी थी बहनचोद!

उसकी बातों का ज़वाब मुँह से न देते हुए मैंने उसका मुँह फिर से लौड़े पर दबाया और जोर जोर से उसका मुँह चोदने लगा.

तीन की जग़ह अब मेरी चार उंगलियां उसकी गांड का दरवाजा खोलकर अन्दर घुस चुकी थीं.
कुछ देर तक मैंने सोहा के मुँह को ऐसे चोदा, जैसे वह उसका मुँह नहीं बल्कि उसकी चूत हो.

पर अब समय हो चुका था कि मैं अपना लौड़ा उस रंडी के औलाद की गांड में घुसा दूँ.

सोहा के मुँह से लंड बाहर खींच कर मैं बिस्तर पर आ गया और वैसे ही सोहा की गांड की तरफ जाकर एक हाथ से अपना लौड़ा पकड़ कर सोहा की गांड के छेद पर रख दिया.

उसने ख़ुद अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ ऐसे फैला दिए जैसे वह मेरे लंड को अपनी गांड में लेने के लिए मरी जा रही हो.
मुझे तो खुले रास्ते पर गाड़ी तेज़ चलाने की आदत है.

सोहा की गांड में आधा लंड घुसेड़ कर मैंने फिर से लंड बाहर निकाला तो सोहा अपनी गर्दन मोड़कर मुझे देखने लगी.

उसकी चुदाई की भूख देख कर मेरे अन्दर का हैवान तो कब का जाग चुका था.
अब बस हैवानियत दिखाने का समय था.

इस बार सोहा के चूतड़ पर एक जोर से थप्पड़ मारते हुए मैंने कहा- क्यों साली मादरचोद … गंदी नाली की पैदाइश? बड़ी आग है तेरी गांड में कुतिया? लगता है तेरे अम्मी ने सौ लंड से चुदवाकर तुझे पैदा किया रंडी!

सुपारा गांड में घुसेड़ कर मैंने एक तेज धक्का दे दिया और एक ही झटके में पूरा लंड सोहा की गांड में जड़ तक पेल दिया.
तेज धक्के से सोहा भी आगे की तरफ़ को गिरने लगी.

लंड को पूरा का पूरा गांड में पेलते हुए मैंने सोहा के बाल मुट्ठी में भरे और जोर जोर से उसकी गांड पर थप्पड़ मारने लगा.
मेरे थप्पड़ इतने तीव्र थे कि हाथ की उंगलियों के निशान उसकी गोरी चमड़ी पर साफ़ दिखाई देने लगे.

एक हाथ से उसके बाल और दूसरे हाथ में गले में लटकता बेल्ट लेकर मैंने सोहा को पूरा नियंत्रण में लिया और आगे पीछे का ना सोचते हुए उसकी गांड पर टूट पड़ा.
सुपारा उसकी गांड के छेद तक बाहर निकालते हुए मैं फिर से अपने लौड़े को वापस उतनी ही तेज़ी से सोहा की गांड में धकेलने लगा.

उधर इस क्रिया से सोहा बुरी तरह से रोने लगी.
अपने हाथ पीछे लेती हुई वह मुझे गाली देने लगी- आअह ह्हह अम्मम्मी … ईई मादरचोद कुत्तेए के बच्चे … साले मार देगा क्या आज मुझेए?

मैंने भी उसके बाल छोड़कर उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा- आज तो तेरा जनाज़ा निकलेगा रंडी की औलाद. बड़ी चुल्ल थी ना तुझे चुदवाने की … मादरचोद … अब देख कैसे तेरी माँ का यार तुझे मौत आने तक चोदेगा!

सोहा के दर्द की चिंता किए बिना मैं उसको रौंदने लगा.
उसकी फूली हुई गांड के मांसल चूतड़ मेरे बमपिलाट धक्कों से थिरकने लगे थे.

सोहा की चीखें इतनी तेज हो चुकी थीं कि जैसे मैं उसकी गांड को चाक़ू से काट रहा था.

सोहा की पीड़ा थोड़ी काम करने के लिए मैंने उसका हाथ छोड़ा और वही हाथ उसके पेट से नीचे लेते हुए उसकी चूत पर रख दिया.
चूत का फूला हुआ दाना अपनी उंगलियों से मसलते हुए मैंने उसकी गांड का गोदाम बनाना ज़ारी रखा.

मेरी उंगलियों ने जैसे ही उसके मटर-दाने को छुआ वैसे ही सोहा की चीख अचानक से सिसकारियों में बदलने लगी.

धीरे धीरे चूत में उंगली घुसाते हुए मैं उसे फिर से हवस की तरफ धकेलने लगा.

सोहा मेरे इस वार से मदहोश होकर बोली- आआह मानस, प्लीज फ़क मी हार्ड माय लव … आअह उफ्फ्फ़ अम्म्मीईई फाड़ दे मेरी गांड मानस.

मैंने बिना कुछ बोले अपना काम जारी रखा.
अपनी छाती को मैं सोहा की पीठ पर दबाते हुए उसकी गांड चोदने लगा.

मेरा एक हाथ उसकी चूत को अपने कब्जे में ले चुका था; दूसरे हाथ से मैं सोहा की झूलती हुई चूचियां मसलने लगा.

एक एक करके मैंने फिर से तीन उंगलियां सोहा के भोसड़े में घुसा दीं.

दूसरे हाथ से चूचियां और उनकी घुंडियां हल्के हल्के से मसलने लगा.

लंड की रफ़्तार थोड़ी सी धीमी करते हुए मैंने सोहा को फिर से रंडी की तरह गर्म किया.
सोहा बार बार सिसकते हुए मुझे चोदने की विनती कर रही थी.

उसके वे शब्द मेरे कानों से गुजरते हुए मेरे लंड को और मजबूत बना रहे थे.

सोहा की भोसड़ी अपने मुट्ठी में दबाते हुए मैंने भी कहा- कैसा लगा मेरी पालतू रांड? आज तुझे ऐसे चोदूँगा कि आज के बाद तू ख़ुद अपनी अम्मी के साथ मेरे लौड़े से चुदवाने आएगी बहनचोद … ले मेरी रखैल की औलाद … चुद साली अपनी माँ के यार से छिनाल!

बहुत देर तक मैंने ऐसे हो सोहा को कुतिया बनाकर चोदा.

पर एक लम्बे समय से चलते इस चुदाई के खेल में मैं भी थकने लगा था.
मेरे टट्टों में उबलता हुआ वीर्य लौड़े के नली से बाहर आने के लिए तरस रहा था.

उधर सोहा भी शायद फिर से झड़ने के कग़ार पर थी.
उसकी फुद्दी में बढ़ते हुए पानी ने मेरी उंगलियों से साथ साथ मेरा पूरा हाथ गीला कर दिया था.

उसके चूचे और फूले हुए महसूस हो रहे थे.
चूचुक तनकर मेरी चुदाई की कुशलता को सलामी दे रहे थे.

सोहा की कामुक सिसकारियां मेरे कमरे की दीवारें चूम कर कमरे का माहौल और वासना से महका रही थीं.

मैं खुद अब सोहा की चूत में लंड घुसाने हो वाला था कि सोहा खुद आगे झुकते हुए बोली- झड़ने वाली हूँ यार … अब आगे से भी ले लो ना मेरी … कब से चोद रहा है … एक बार निकाल अपना पानी मेरी चूत में … मानस!

सोहा के आगे झुकने से मेरा लंड उसकी गांड से निकल चुका था और चुस्त गांड की रगड़ से लाल हो चुका था.
उसकी नसें देख कर एक बार तो मैं ये सोचकर कांप गया कि इस गर्मी से कहीं मेरा लौड़ा फ़ट ना जाए बहनचोद.

सोहा का नंगा बदन अब फिर से अपनी गिरफ़्त में लेकर मैंने सोहा को प्यार से चूमना चालू किया.
हमारी जीभ एक दूसरे से टकराने लगीं और सोहा खुद मेरे नीचे टांगें फैलाकर लेट गयी.

सोहा की टांगें फिर से अपनी कमर पर लेकर एक हाथ से मैंने लौड़ा उसकी चूत के मुहाने पर रखा.
तभी सोहा ने खुद अपनी गांड ऊपर उठाते हुए एक तकिया अपने कमर के नीचे लगा दिया.

सोहा की कमर पकड़ कर मैं बोला- अब देख कुतिया, आज तेरे भोसड़े में कैसे मूतता हूँ रंडी … ले मादरचोद!

इतना कह कर मैंने जोर से लंड फुद्दी के अन्दर धकेला, सोहा ने भी एक लम्बी आअह्ह्ह के साथ मेरे लौड़े का स्वागत किया और मुझे अपनी बांहों में भरती हुई वह अपने पैर मेरी पीठ की तरफ ले गयी.
दोनों पैरों से मुझे जकड़ती हुई वह मुझे ऐसे चूमने लगी कि मेरा जोश फिर से बढ़ने लगा.

मेरे कान, गर्दन और छाती पर चूमते हुए सोहा ने भी अपनी कमर ऊपर उठाई और मेरे लंड पर अपनी चूत परोस दी.
मैंने भी सोहा के एक चूचे को मुँह में भर लिया और जोर जोर से लौड़ा चूत में घुसाते हुए चुदाई करने लगा.

सोहा का बोबा जोर से मसलते हुए मैं बोला- क्या मस्त चूत है तेरी छिनाल … साली बहनचोद … आज़ तो मज़ा आ गया मेरी रखैल … तेरी माँ का भोसड़ा साली बाजारू रंडी!

उसने भी मेरे बालों को सहलाते हुए कहा- आह ऐसे ही पेल राज़ा … बड़ा मज़ा आ रहा है आज़ … उफ़्फ़ अम्मी फट गयी मेरी भोसड़ी इसके हैवान लौड़े से!

काफ़ी देर तक मैं सोहा की चूत का मज़ा लेता रहा पर अब मेरे लौड़े ने भी जवाब देना चालू कर दिया था.
मैंने आख़िर के कुछ धक्के लगाते हुए लंड को पूरा घुसाया और सुपारे को सोहा के बच्चेदानी पर दबा दिया.

उसकी गर्म बच्चेदानी ने भी सुपारे को चूमा और मेरा लंड अपने प्राण त्यागने लगा.
लंड से गर्म गर्म वीर्य निकल कर सोहा की चूत में भरने लगा.

तभी मुझे लंड पर भी कुछ गर्माहट हुई.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि सोहा की चूत ने भी अपना कामरस मेरे लौड़े पर बहा दिया था.

एक दूसरे को बांहों में भरते हुए हम दोनों झड़ने का सुख लेते रहे.

मेरे लंड से वीर्य की आख़री पिचक़ारी निकलने के बाद भी लंड को वैसे ही सोहा की चूत में रखकर मैं उसे चूमने लगा.

सोहा भी मेरे बालों को सहलाती हुई मेरे होंठों को चूमने लगी.
उसकी आंखें अब भी बंद थीं और उसका क़ामज्वर धीरे धीरे ठंडा होने लगा था.
उसने पेनफुल सेक्स का पूरा मजा लिया.

मेरा लंड मुरझाया हुआ जैसे ही सोहा की चूत से बाहर निकला, तो उसके साथ साथ मेरा वीर्य भी बाहर आने लगा और बिस्तर की चादर गीली होने लगी.

मुझे लगा कि अब सोहा वैसे ही लेटी रहेगी.
पर मेरे कल्पना से परे वह उठकर बैठ गयी.
वह अपनी उंगली से मेरा वीर्य जमा करते हुए उसे चाटने लगी.

मैंने भी मेरा लंड उसके सामने करते हुए कहा- साली छिनाल … कितनी बड़ी रंडी है तू मादरचोद … अब इस लौड़े को भी चूसकर साफ कर दे कुतिया!

सोहा ने भी झट से लंड मुँह में लेते हुए वीर्य से गीले लंड को चाट चाट कर साफ करना चालू कर दिया.
थके हारे हमारे बदन एक दूसरे से चिपका कर हम दोनों वैसे ही नंगे सो गए.

इस जंगली चुदाई के बाद तो सोहा अब लगभग रोज़ ही मेरे लौड़े पर अपनी ज़वानी क़ुर्बान करने लगी.

पूरे दो साल, जब तक उसकी पढ़ाई पूरी नहीं हुई, तब तक मैं सोहा के जिस्म का मज़ा लेता रहा.

अब तो वह भारत वापिस जा चुकी है, पर उसकी यादें आज भी मेरे दिल में ज़िंदा हैं.

आपको मेरी इस पेनफुल सेक्स विद हॉट गर्ल कहानी के लिए क्या कहना है, बिंदास अपने जबाव मुझे मेल करें.
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