मौसी की चूत में घुसा मेरा लंड- 1

देसी लेडी सेक्स कहानी मेरे दोस्त की मौसी की वासना की है. वो मुझे दोस्त के बेटे के जन्मदिन पर मिली थी. मेरे दोस्त की बीवी ने ही हमारी सेटिंग करवाई.

अन्तर्वासना के सभी प्यारे दोस्तों को हर्षद मोटे का नमस्कार.
आपने मुझे पहचान ही लिया होगा.

आपने मेरी पिछली कहानी
दोस्त की बीवी और साली मेरे लंड की दीवानी
पढ़ी ही होगी जो मेरे दोस्त के बेटे सोहम के पहले जन्मदिन के साथ जुड़ी हुई थी.

उससे जुड़ी हुई सेक्स कहानी का अगला भाग मैं आपके लिए लिख कर भेज रहा हूँ, मजा लीजिए.

आपकी यादें ताजा करने के लिए बता देता हूँ कि उस दिन सरिता भाभी ने देविका मौसी से मेरी मुलाक़ात करवाई थी.
मैंने मौसी के हाथ से सोहम को लेते समय उनके दूध दबा दिए थे, जिससे वो मेरी तरफ वासना से देखने लगी थीं.
फिर कुछ देर बाद विलास आ गया था और हम दोनों सरिता भाभी के बुलाने पर खाना खाने आ गए थे.

अब आगे देसी लेडी सेक्स कहानी:

हम दोनों दोस्त हॉल में आ गए.
टेबल पर खाना लगा दिया गया था.

मेरे पिताजी, मम्मी, विलास की मां और पिताजी, सोनाली के सास ससुर, विलास की मौसी, सरिता भाभी, मैं और विलास हम सब लोग बैठ गए थे.

एक बाजू में औरतें और एक बाजू में मर्द. मतलब हम सब आमने सामने बैठे थे.
मेरे एक बाजू में विलास और दूसरे बाजू में उसके पिताजी थे.

मेरे सामने देविका मौसी बैठी थी. उसके बाजू सरिता भाभी, विलास के सामने थी.
मौसी की दूसरी बाजू मौसी की बड़ी बहन यानि विलास की मां बैठी थी.

हम सब खाना खाने लगे.

मेरी नजर तो मौसी के मम्मों पर ही बार बार अटक जाती थी.
मौसी भी जान गयी थी तो वो और नीचे झुक कर खाना खाने लगी थी.
सब लोग आपस में बातें करते हुए खाने का स्वाद ले रहे थे.

अब तो मौसी अपने एक पैर से मेरे पैर को सहलाने लगी थी.
मैं मौसी से इशारा करके शान्त रहने को कह रहा था.
तभी सरिता भाभी ने मुझे देख लिया और वो मुस्कुराती हुई खाना खाने लगी.

जब देविका नहीं मानी तो मैंने अपने पैर को साड़ी के अन्दर से देविका के घुटनों तक कर दिया.
मैं मौसी के पैर सहलाने लगा.

देविका मौसी शर्मा गई और चुपचाप खाना खाने लगी थी.
उसे मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था.

हमारा खाना खत्म हो गया तो सभी लोग बाहर आंगन में चले गए.

सरिता भाभी और मौसी सब थालियां समेटकर अन्दर ले जा रही थीं.
मैं टीवी के बहाने उधर ही रुक गया था.

तभी भाभी मेरे पास आयी और बोली- हर्षद, तुम्हें एक बात बतानी थी.
मैंने कहा- हां बोलो. उसमें पूछने की क्या बात है.

तब सरिता बोली- हर्षद, मौसी आज रात तुम्हारे साथ बेड पर सोना चाहती है.
मैंने कहा- ये कैसे हो सकता है. विलास क्या सोचेगा?

भाभी बोली- तुम चिंता मत करो मैं सब सम्हाल लूंगी. मौसी को नीचे नींद नहीं आती और हम दोनों सोहम के साथ तुम्हारे साथ वाले कमरे में सो जाएंगे. तुम्हारे दोस्त भी कुछ नहीं बोलेंगे, उन्हें पता है कि मौसी को हमेशा बेड पर सोने की आदत है. और दूसरी बात ये है कि हर्षद, जब से मौसी ने तुम्हें देखा है … तब से वो तुम पर फिदा हो गयी हैं और तुम्हें चाहने लगी हैं. आज की रात वो तुम्हारे साथ गुजारना चाहती हैं.
ये सब सुनकर मैंने भाभी से कहा- यह ठीक नहीं है. ऐसा नहीं हो सकता. आज पूरी रात तो मैं तुम्हारे साथ गुजारने की सोच रहा था.

“हां हर्षद मैं भी यही चाहती थी, लेकिन मैं भी क्या कर सकती हूँ. बात कुछ ऐसी है कि मौसी मेरी सास की तरह नहीं, मेरी सहेली जैसी हैं और अपनी सब बातें वो मुझे बिंदास बताती हैं.”
मैंने कहा- जैसे?

सरिता- पांच साल के पहले उनके पति का बाईक से एक्सीडेंट हो गया था. उसी के कारण उनके पति को कमर और घुटनों में फ्रेक्चर हो गए थे. ऑपरेशन भी किया गया था, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. तभी से ये बेचारी अपनी शारीरिक भूख मिटाने से वंचित हैं. अपनी सारी इच्छाएं दबा रखी हैं. ये सभी बातें उन्होंने मुझे बतायी हैं. आज तक मौसी हर तरह की बात मेरे साथ बांटकर अपना दुःख हल्का करती हैं. मैं उन्हें मदद करके उनका थोड़ा सा दुःख हल्का करना चाहती हूँ हर्षद. मैं तो तुम्हें कभी भी पा सकती हूँ. लेकिन आज वो तुम्हें देखने के बाद एकदम से गर्मा गई हैं. उनकी वासना की बुझी हुई आग फिर से सुलग गयी है.

मैं सिर्फ सरिता को सुन रहा था.

सरिता- हर्षद मेरे लिए आज मौसी की सुलगती आग को बुझा दो ना. वो तुमसे बहुत उम्मीद लगाए बैठी हैं.
ये सब सुनकर मैंने भाभी से कहा- ठीक है भाभी, जैसा तुम चाहो वैसा ही होगा.

सरिता भाभी खुश होकर बोली- मुझे मालूम था हर्षद, तुम मेरी बात नहीं टाल सकते. शुक्रिया हर्षद.
ये कहकर वो अपने काम पर चली गयी.

मैं बाहर आ गया और वहां थोड़ी देर सबके साथ बैठ गया.

अब दस बज चुके थे. मैंने विलास से सोने के बारे में पूछा.
विलास बोला- हम दोनों कुछ काम की बात करेंगे … तुम जाओ हर्षद. तुमने दिन भर आराम नहीं किया है.

अब मैंने ऊपर अपने रूम में जाकर कपड़े निकालकर कर रख दिए; अंडरपैंट भी निकाल दिया और नंगा होकर नहाने चला गया.
उधर मस्त ठंडे पानी से नहाकर आया.

डिओ और मस्त खुशबूदार सेंट लगाकर पूरी तैयारी के साथ मौसी के आने का इंतजार करने लगा.

मैंने जीरो वाट की लाईट जलायी और नंगा ही बेड पर लेट गया. मैंने अपने बदन पर लुंगी ओढ़ ली.
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.

पांच साल की अनछुई चूत चोदने में कितना मजा आएगा, बस यही सोच कर लंड सहला रहा था. मेरे लंड में हलचल होने लगी थी.

रात के ग्यारह बज रहे थे कि तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी.
दरवाजा खोलकर फिर कुंडी लगाने की आवाज आ रही थी.

मैंने देखा तो वो मौसी ही थी. मैं सोने का नाटक कर रहा था और अपनी अधखुली आंखों से देख रहा था.
मौसी बेड के पास आयी और मुझे आवाज देने लगी- हर्षद, सो गए क्या?
मैंने कोई जबाब नहीं दिया तो उसे लगा मैं सो गया हूँ.

मैं देख रहा था कि मौसी अपनी साड़ी निकाल रही थी.
उसने अपनी साड़ी निकाल कर टेबल पर रख दी.

उसके बाद उसने मुझे देखते हुए ब्लाउज भी निकाल दिया. उसके गोरे और गोलाकार स्तन आजाद होकर झूलने लगे थे. उसने ब्रा नहीं पहनी थी.

इसके बाद उसने झट से पेटीकोट भी उतार दिया. मैं ये सब देखकर हैरान हो रहा था. जबकि वो बिंदास अपनी पैंटी उतारने लगी थी.
पैंटी उतारते समय वो झुक गयी, तो उसकी गोरे गोरे और थोड़े बाहर को निकले गदराये चूतड़ देखकर मेरे लंड में तनाव आने लगा था.

इसके बाद वो सम्पूर्ण नंगी बेड पर चढ़ गयी और आहिस्ता से उसने मेरी लुंगी हटा कर मेरे बदन से अलग कर दी.
वो मेरे पूरे नंगे शरीर को सर से पांव तक देख रही थी.
मेरा लंड आधा कड़क था.

मैं अपनी अधखुली नजरों से देख रहा था.

अब मौसी की नजर मेरे आधे तने हुए लंड पर थी. बहुत सालों के बाद वो एक नंगे मर्द को इतनी नजदीक से देख रही थी. उसका चेहरा खिल उठा था.
फिर वो अपनी गांड मेरे गोरे लंड के समीप लाकर लेट गई.

उस समय वो मेरे लंड पर अपने चूतड़ का धक्का मारती हुई लेट गयी. मैं भी ऐसे ही लेटकर उसकी गोरी सी पीठ और छोटी कटीली कमर से सट गया.

मौसी के मुलायम, गोरे चूतड़ और दोनों चूतड़ों के बीच की दरार मेरे लंड के काफी नजदीक थी. सब देखकर मेरे लंड में तनाव आने लगा था.

इतने में सरिता भाभी और विलास के रूम में आने की आवाज सुनाई दी.
शायद भाभी का काम खत्म हो गया था और वो दोनों सोने के लिए अपने रूम में आए थे.
शायद सोहम सो गया था.

कुछ देर बाद उनके रूम की लाईट भी बंद हो गयी थी.

थोड़ी ही देर में मौसी ने अपनी गांड मेरे लंड से चिपका दी और लंड के साथ छेड़छाड़ करने लगी.

उसकी कोमल, मुलायम और गदरायी गांड का गर्म स्पर्श मिलते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगा.

लंड में दिमाग तो होता नहीं है … उसे तो घुसने वाली जगह मिली और वो अपना फन उठाना शुरू कर देता है.

अब मेरा लंड उसके दोनों चूतड़ों की दरार में घुसकर चूत पर रगड़ खाने लगा था.
पांच मिनट ऐसा ही खेल चलता रहा था तो मेरा मोटा और लंबा लंड डंडे जैसा सख्त हो गया.

अब मैं सोने का नाटक ज्यादा देर तक नहीं कर सकता था क्योंकि मौसी को भी पता चल गया था कि मेरा लंड पूरा जोश में आ गया है मतलब मेरी नींद खुल गयी है.

मैं अपनी करवट बदलकर सीधा पीठ के बल लेट गया तो मौसी भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह करके मुझसे चिपक गयी.
मेरा लंड खंबे की तरह आसमान छू रहा था, मौसी एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी.
मौसी के मुलायम हाथ का स्पर्श मिलते ही मेरा लंड फनफनाने लगा.

मेरा मोटा लंड मौसी के हाथ में बैठ ही नहीं रहा था.
मौसी गर्म हो गयी थी, उसकी मांसल मुलायम गर्म हुई जांघें, मेरी जांघों से रगड़ रही थीं.

अब मौसी ने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया. उसके कड़क और गोलमटोल स्तन मेरे बदन पर रगड़ खा रहे थे. उसके कड़क नुकीले निपल्स मेरे बदन को चुभ रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अपने एक हाथ से उसके सर को सहलाने लगा, साथ में अपनी उंगलियां, उसके घने और लंबे बालों में फिराने लगा.

मौसी बोली- हर्षद, काश तुम बहुत पहले मिले होते तो मेरी जिंदगी ही बदल जाती.
मैंने पूछा- वो कैसे मौसी?

मौसी मेरा लंड जोर से दबाती हुई बोली- हर्षद मुझे मौसी मत कहो … सिर्फ देविका ही कहो. हम दोनों अभी फ्रेंड है समझे.
मैंने कहा- जैसा तुम कहो देविका.

तभी देविका मेरे ऊपर चढ़ गयी और अपनी दोनों मुलायम जांघों में मेरा लंड जकड़ लिया, साथ में अपने पैर लंबे करके मेरे पैरों को सटा लिया.
उसने लेटकर अपने नाजुक, गुलाबी और रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
देविका कामुक हो गयी थी.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसे कस लिया और हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे के जिस्म के गर्म स्पर्श का अहसास करते रहे थे.

देविका बोली- हर्षद, पांच साल बाद आज तुम जैसे मर्द के नंगे बदन का स्पर्श मेरे बदन को हो रहा है. तुम्हारा ये गठीला बदन, चौड़ा सीना और इतना मोटा और लंबा लंड देखकर मैं तो तुम्हारी दीवानी हो गयी हूँ हर्षद. कितने हैंडसम हो तुम, पहली नजर में ही तुमने मुझे पागल कर दिया था.

उसकी बातें सुनकर मैंने जोश में आकर करवट बदली और उसे नीचे ले लिया.

उसकी जांघों पर अपने घुटनों के बल बैठ गया.
मेरा लोहे जैसा लंड देविका की चूत पर रगड़ रहा था.

मैं अपने हाथों में उसके दोनों स्तनों को लेकर सहलाने लगा तो देविका सिहर उठी.
वो आह करती हुई कहने लगी- आंह बरसों बाद किसी जवान मर्द के हाथों का स्पर्श हुआ है. आज इन मेरे खरबूजों को हर्षद मसल दो. इन्हें अपने मजबूत हाथों से रगड़ दो हर्षद. मेरे पति ने आज तक इन्हें मसला ही नहीं है.

मैं जोश में आकर देविका के दोनों स्तनों को जोर जोर से मसलने लगा तो देविका कराह उठी- ऊई उफ्फ आह आ आ ऊँ ऊँ हं हं हाय आह ऐसे ही मसलते रहो हर्षद.
देविका बहुत कामुक हो रही थी.

नीचे देविका की गीली चूत को मेरा लंड रगड़ खा रहा था. मेरा लंड भी गीला हो गया था.
मैंने देविका का एक स्तन अपने मुँह में लिया और जोरों से खींचते हुए चूसने लगा, साथ ही मैं अपने हाथ से दूसरे स्तन को मसल रहा था.

इससे देविका जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूस रहा था और मसल रहा था.

कुछ ही पलों में देविका जोर जोर से सीत्कारने लगी थी- ऊई मां ऊई मर गई आंह स् स् स्ह स्ह बहुत मजा आ रहा है हर्षद कितना मस्त चूस रहे हो … आह मस्त मसल भी रहे हो आंह अब बस भी करो यार … नीचे मेरी चूत में आग लगी है … हर्षद उसका भी कुछ करो. अब नहीं रहा जाता मुझसे … आह अपना मूसल जैसा लंड पेल दो मेरी चूत में!

मैंने कहा- हां देविका … मेरा लंड जरा मोटा है.
वो- आह हर्षद, मुझे डर भी लग रहा है तुम्हारे लंड का आकार मेरी चूत को फाड़ न दे.

मैंने पूछा- डरना कैसा देविका … ऐसा क्यों कहती हो.
उसने कहा- मेरे पति का तो तुम्हारे लंड से आधा ही लंबा और आधा ही मोटा है. मैं उसे ही अभी तक लेती रही थी. लेकिन तुम्हारा इतना बड़ा और लंबा हथियार मेरी चूत को फाड़ देगा. मैं तो मर ही जाऊंगी हर्षद … आंह.

तभी मैंने उसके होंठों को चूमकर कहा- देखो देविका, पहली बार और इतने बरसों के बाद बडा लंड अपनी चूत में लोगी, तो थोड़ी तकलीफ तो होगी ही ना. तुम घबराओ नहीं … मैं आहिस्ता से करूंगा देविका. मुझे मालूम है, तुम इतना तो सह सकती हो. अपने बदन और चूत में लगी आग को बुझाना, अब तुम्हारे दर्द सहने पर ही निर्भर है देविका.

मेरी इस बात पर देविका ने मुझे अपने बांहों में कसकर चूमते हुए कहा- मैं सब सह लूंगी हर्षद. तुम अब देर ना करो बस जल्दी से अपना लंड मेरी प्यासी चूत में डाल दो.
मैंने उठकर देविका की गोरी गोरी मांसल जांघों को सहलाया और उन्हें दोनों तरफ फैला दिया.

मैं अपने घुटनों के बल जांघों के बीच बैठ गया और उसकी गोरी चिकनी चूत को निहारने लगा.
चूत गीली होने के कारण चमक रही थी.

मैंने उसकी मखमल जैसी चूत पर अपना हाथ रखा और सहलाया तो देविका सीत्कारने लगी- आह उफ्फ स् स्ह स् स्ह हं हं ऊई ऊई!
वो मादक आवाजें निकालने लगी थी.

अब मैंने एक हाथ की उंगलियों से उसकी गीली गर्म चूत की फांकें दोनों तरफ फैला दिया.
दूसरे हाथ में अपना लंड पकड़कर गीला और चिकना सुपारा चूत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा.
देविका मचलने लगी.

दोस्तो, देसी लेडी सेक्स कहानी को अगले भाग में विस्तार से लिखूँगा. तब तक आप मुझे मेल लिखें.
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देसी लेडी सेक्स कहानी का अगला भाग: मौसी की चूत में घुसा मेरा लंड- 2

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