मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-12

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-11

असलम और नसरीन की गांड चुदाई और चूत चुदाई हो चुकी थी। टीवी पर पिक्चर अभी भी चल रही थी। पिक्चर में लड़के ने लड़की की चूत में पीछे से लंड डाला हुआ था। पिक्चर देखते-देखते असलम का लंड फिर से खड़ा हो गया। असलम नसरीन को बोला, “अम्मी फिर वैसे ही उल्टा लेट जाईये।”

“नसरीन अपनी आप बीती में बता रही थी, “असलम के इतना कहने पर मैं उल्टा हो कर घुटनों और कुहनियों के बल लेट गयी, जैसे गांड चुदवाते हुए लेटी थी। मैंने अपने चूतड़ थोड़े ऊपर उठा लिए, जिससे मेरी चूत का छेद असलम के लंड के सामने आ जाए।”

“असलम ने एक बार चूत में उंगली डाली, और लंड चूत के छेद पर बिठाया और फच्च की आवाज के साथ पूरा लंड एक ही बार में जड़ तक चूत में बिठा दिया, और एक सेकण्ड की भी देरी किये बिना चुदाई चालू कर दी।”

“चुदाई की मस्ती में हमारे मुंह से निकलती आवाजें माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी।”

“हर चुदाई के बाद चुदाई के वक़्त होती हमारी बातें बेशर्मी की सभी हदें पार कर रही थी – ये और भी गंदी और भी सेक्सी होती जा रही थी

असलम बोलता, “आआह अम्मी क्या चूत है आपकी मजा आ गया। आआह अम्मी मेरी अम्मी आअह आअह अम्मी अम्मी लेलो मेरा लौड़ा, पूरा का पूरा गया लौड़ा आपकी गुलाबी फुद्दी के अंदर। अअह मेरी अम्मी, आआह आआह आआह क्या मस्त चुदती हैं आप। बड़ा मजा आता है आपकी चुदाई करके आअह।”

ये बोलते-बोलते असलम मेरे चूतड़ों पर एक धप्पड़ जमा देता और साथ ही पूरा लंड चूत से बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का भी लगा देता।”

“मजे की मारे मेरी भी हालत वैसी ही हो जाती थी। मैं भी वही कुछ भी बोलती थी। आआह असलम क्या चोदता है बेटा तू, मस्त मोटा लंड है तेरा आआह क्या रगड़ा लगा कर जाता है। अंदर चूत भरी पड़ी है मेरी आह, लगा रगड़ा और अपनी अम्मी की चूत फुला दे। इसको चोद-चोद कर आआह दबा, और जोर से डाल। हां ऐसे ही, हां ऐसे ही असलम आआह आआआह जरा और जोर से अअअअअह, आअह असलम आआह गया अंदर आआह असलम दबा कर रगड़, हां ऐसे ही आआह।”

“कुछ ही दिन पहले के शर्मीला असलम अब पक्के चुदकड़ मर्द की तरह चुदाई करता था। कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहने के बाद असलम ने लंड मेरी चूत में से निकाला और पहले की तरह चुदाई कर के मेरे पास ही वहीं लेट गया।”

“मैं भी असलम की बगल में ही लेट गयी। जब चूत के मजे का जूनून सर से उतरा तो लगा गांड के छेद पर जलन सी हो रही है। मैंने असलम से कहा, “असलम मेरे गांड की छेद पर जलन सी हो रही है। जरा देख तो बेटा, कहीं तेरे मोटे लंड से हुई चुदाई में छिल तो नहीं गया?”

असलम ने कहा, “दिखाओ अम्मी, वैसे तो गांड का छेद छिलता नहीं, और मैंने तो छेद पर क्रीम तो बहुत लगाई थी। पर आपकी गांड ही बड़ी टाइट थी। चलिए दिखाईये, देखता हूं कितनी फूल गई है।”

“मैंने उल्टा हो कर चूतड़ उठा दिए और हाथ पीछे कर के चूतड़ फैला दिए। असलम ने चूतड़ों को थोड़ा और खोला और बोला, “अम्मी छिली तो नहीं पर थोड़ी लाल हुई पड़ी है और थोड़ी सी मोटी भी हुई पड़ी है।”

“ये कह कर असलम ने मेरी गांड के छेद पर जुबान फेरने लगा। मुझे बड़ा ही सुकून मिला। बशीर ने भी ऐसा ही किया था, जमाल भी यही करता था।”

“तो क्या सारे मर्द ऐसा ही करते हैं ? पहले चोद-चोद कर गांड का छेद सुजा देते हैं, फिर चाट-चाट कर उसकी सूजन दूर करते हैं?”

“असलम बोला, “अम्मी मेरे पास शेव करने के बाद लगाने वाली क्रीम है। आप ऐसे ही लेटे रहिये मैं लाता हूं।”

“मैं ऐसे ही चूतड़ उठा कर लेटी रही। असलम क्रीम लाया और उंगली से गांड के छेद के बाहर और अंदर लगा दी। जैसे ही असलम ने उंगली छेद के अंदर डाली, मुझे फिर मजे का एहसास हुआ। मन किया एक बार और चुदवा लूं।”

“मैंने कहा, “बस कर असलम। नहीं तो फिर चुदवाने का मन हो जाएगा। आजा लेट जा मेरे पास। असलम मेरे पास ही लेट गया और बोला, “अम्मी अब पांच-सात दिन गांड मत चुदवाना।”

“मैंने भी बेशर्मी के साथ कह दिया, “पांच सात दिन कह ले, या आठ दस दिन कह ले, गांड तो मेरी जब भी चोदनी है तूने ही चोदनी है। मैं तुझे गांड का छेद रोज दिखा दिया करूंगी। जिस दिन तुझे लगे अब ये तेरा मोटा लंड झेलने के लिए तैयार है, उस दिन डाल लेना। ये बोलते हुए मैं हंस दी।”

“असलम “ठीक है अम्मी” बोल कर हंस दिया।”

“मेरी और असलम की हफ्ते में चार-पांच चुदाईयां हो रही थी। मुझे लगने लगा था, ये कुछ ज्यादा ही हो रहा था। कई बार मुझे ख्याल सा आता था कि इतनी ज्यादा चुदाई से असलम की सेहत ही ना बिगड़ जाए। अब जब बात निकल ही आयी थी, तो मैंने सोचा अब बात कर ही लेनी चाहिए।”

मैंने कहा, “असलम गांड ही क्या, मैं तो कहती हूं चूत भी रोज-रोज नहीं चोदनी चाहिए। कुछ दिन रुक-रुक कर चुदाई करेंगे तो मजा भी बहुत आएगा। तेरे लंड से ढेर सा पानी तुझे भी मजा देगा, और मुझे भी।”

असलम कुछ सोचने लगा और फिर बोला, “ठीक है अम्मी, जैसा आपको ठीक लगे।”

मैंने ही फिर से कहा, “असलम अब से जब भी तेरा मन करे चुदाई का, तू मुझे बता देना, जब भी मेरा मन करे चुदाई का, मैं तुझे बोल दिया करूंगी।”

“असलम ने हां सर हिलाया।”

“असलम हल्के-हल्के प्यार में मेरी चूत सहला रहा था।”

लेटे-लेटे मैंने असलम की तरफ मुंह करके से कहा, “असलम एक बात बताएगा ?”

असलम बोला, “जी अम्मी पूछिए।”

“मैंने हिचकिचाते हुए असलम से पूछा, “असलम, तुझे याद है जब कुछ दिन पहले मैं उदास सी रहती थी तो तूने मुझसे पूछा था अम्मी जमाल बहुत याद आता है?”

“असलम ने जवाब दिया, “हां अम्मी याद है।”

“मैंने फिर पूछा, “असलम, क्या जमाल ने तुझे सब कुछ बता दिया था?”

“असलम ने फिर जवाब दिया, “हां अम्मी सब कुछ बता दिया था – हर बात बता दी थी।”

“असलम के इस जवाब से ये तो साबित हो गया कि जमाल ने अपनी और मेरी चुदाई की हर बात असलम को बता दी थी।”

“मैंने फिर पूछा, “असलम, जमाल की बातें सुन कर तुझे मुझ पर गुस्सा नहीं आया?”

“अब जो असलम ने बताया वो मुझे हैरान करने के लिए काफी था।”

असलम बोला, “अम्मी मुझे क्यों गुस्सा आता? जमाल के साथ आपका जो कुछ भी चल रहा था, उसके लिए जमाल ने मुझसे पहले इजाजत ली थी। आपकी और जमाल की चुदाई, ये सब मेरी रजामंदी के चलते हो रहा था।”

“मैंने हैरानी से कहा, “ये तू क्या कह रहा है असलम? अपनी अम्मी को किसी दूसरे से चुदाई करने के लिए हां कर दी? क्यों?”

“फिर असलम ने मुझे पूरी बात बताई, “अम्मी अब्बू की अचानक मौत से सब लोग सकते में थे। आप, मैं और यहां तक कि जमाल भी। आप पर तो मुसीबत का कहर ही टूट पड़ा था। मगर ये होनी थी, जिसे कोइ टाल नहीं सकता था। अब्बू की मौत को साल गुजर चुका था। आपकी उदासी दूर ही नहीं हो रही थी।

“फिर जैसा कि आप जानती है, जमाल के कहने पर मैंने आपको दुकान पर जाने के लिए बोला। कुछ दिन ठीक चला। जमाल का आपकी चुदाई का कोइ इरादा नहीं था। मगर सैंतीस अड़तीस साल की उम्र में चुदाई के बिना रहना आसान होता है क्या? औरतें तो 50 – 55 की साल की उम्र तक मस्त चुदाई करवाती हैं। आपकी चूत को भी चुदाई चाहिए थी।”

“तभी आपके हाथ वो चुदाई वाली मैगजीन लग गयी। आपको वो मैगजीन की फोटो और कहानियां अच्छी लगने लगी। ऐसे कामुक कहानियां पढ़ते-पढ़ते आपके मन में चुदाई की इच्छा जागने लगी होगी।”

“एक दिन जब आप ऊपर कमरे में वो मैगजीन देख रही थी, और चूत में वो पेन का कवर डाला हुआ था, तभी एक जमाल का कोइ मेहमान आया था। जमाल उसे घर छोड़ने जाना चाहता था और आपको बताने ऊपर गया तो आपको पेन के कवर से अपनी चूत चोदते देख उलटे पांव वापस हो गया।”

“इसके बाद जमाल ने आपको तीन-चार बार ऐसा करते देख लिया। फिर एक दिन जमाल मुझसे बोला, “असलम भाई आप से एक बात करनी है।”

“उस वक़्त जमाल मुझे कुछ परेशान सा लग रहा था। मैंने कहा, ” बोलो जमाल, क्या बात है, कोइ परेशानी है क्या?”

“जमाल ने मुझे आपकी मैगजीन देखने वाली, पैन का कवर चूत में लेने वाली – सारी बात बता दी और बोला, “असलम भाई भाभी की उम्र अभी सैंतीस अड़तीस साल की ही है। ये उम्र कुछ ज्यादा नहीं। इस उम्र में औरतों की कुछ जिस्मानी जरूरतें रहती हैं, और फिर भाभी तो एकदम तंदरुस्त हैं।”

“फिर जमाल धीरे से नीचे देखते हुए बोला, “असलम भाई, भाभी को मर्द का साथ चाहिए। सीधी भाषा में बताऊं असलम भाई तो भाभी की चूत लंड मांग रही है। भाभी को एक मर्द का साथ और उसकी चुदाई चाहिए।”

“मुझे जमाल पर गुस्सा भी आया मगर साथ ही उसकी बात में वजन भी लगा। जमाल बात तो ठीक ही कह रहा था। अब हमारे खानदानों में शौहर के गुज़र जाने के बाद औरत की दूसरी शादी कर दी जाती है। मैंने जमाल से पूछा, “जमाल तुम्हारा मतलब अम्मी की दूसरी शादी?”

“जमाल एक दम से बोला, “नहीं-नहीं असलम भाई मेरा ये मतलब नहीं। क्या मालूम दूसरी शादी के बाद भाभी को कैसा मर्द मिले?”

“हमारी दुकान बड़े मौके की है, और इस वक़्त करोड़ों की है। दुकान लालच में और भाभी के साथ मजे लेने के लिए इस वक़्त कोइ भी तैयार हो जाएगा। मगर शादी कोइ पांच सात दस साल का खेल तो है नहीं और भाभी भी हमेशा तो ऐसी सुन्दर और जवान तो नहीं रहेगी। एक बार भाभी ढलना शुरू हुई, तो फिर वो मर्द भाभी को कैसे रखेगा क्या मालूम?”

“जमाल बड़ी ही अक्लमंदी वाली बात कर रहा था। मैंने अब जमाल से कहा, “जमाल मुझे तुम्हारी बात अब समझ आ रही है, तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। अब तुम साफ़-साफ़ बात करो तो अच्छा है।”

“असलम बता रहा था कि जमाल ने खंखार कर गला साफ़ किया और बोला, “असलम भाई मुझे माफ़ करना, असल में तो भाभी को चुदाई चाहिए। उनकी चूत लंड मांग रही है।”

“जमाल ने कहा, “असलम भाई चुदाई की ठरक और चूत गर्मी को ठंडा करने के लिए अगर भाभी कहीं इधर-उधर से लंड ले लिया और चुदाई करवा ली तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। आप को तो मालूम ही है ज़माने का।”

“अगर चुदाई करने वाला शरीफजादा ना हुआ, तो पूरी जिंदगी का झंझट हो जाएगा। चौराहे की रंडी बना देगा भाभी को – दस लोगों की रखैल बना कर छोड़ देगा। भाभी को भी समझ तब आएगा, जब उनकी चूत चुदाई करवा-करवा कर खुल कर भोसड़ा बन जाएगी, और भाभी उम्र से पहले ही बूढ़ी हो जाएगी।”

“जमाल की ये वाली बात सुन कर तो मैं परेशान हो गया। जमाल की सारी बातें सच थी, और ऐसे कई किस्से लोगों से मैंने भी सुने थे। मैंने जमाल से पूछा, “जमाल तो फिर क्या करें, तुम्ही बताओ।”

“जमाल धीरे से बोला, “असलम भाई एक सलाह दे सकता हूं। हो सकता है आपको अच्छी ना लगे। लेकिन मौजूदा हालात मुझे तो में वही ठीक रास्ता लगता है।”

“मैंने कहा, “बताओ तो सही जमाल। उसके बाद देखते हैं।”

“जमाल कुछ देर चुप रहा और फिर बोला, “असलम भाई अब आप जवानी की तरफ बढ़ रहे हो। आप का लंड जवान हो रहा है। आपके लंड को भी तो चुदाई चाहिए। आप चोद कर दिया करो भाभी को। घर की बात घर में रहेगी।”

“मैंने बीच में ही टोक कर कहा, “जमाल ये क्या बोल रहे हो। वो मेरी अम्मी है। अपनी अम्मी के साथ चुदाई का रिश्ता कैसे बना सकता हूं।”

“जमाल बोला, “असलम भाई नाराज मत होईये। इस मजबूरी का और कोइ हल नहीं है। चार-पांच साल की ही तो बात है। फिर भाभी की चूत की आग भी ठंडी होने लगेगी और आपकी भी शादी हो जाएगी। घर में नई बहू आएगी तो भाभी का मन वैसे ही लग जाएगा।”

“मैं गहरी सोच में पड़ गया। मुझे सलाह दे कर जमाल अपने काम में लग गया था, मगर मेरा दिमाग हिला गया।”

“उस दिन तो मैंने जमाल से कुछ नहीं कहा। अगले दिन जब मैं दुकान पर गया तो मैंने जमाल को बुलाया और कहा, “इधर आओ जमाल मैंने तुमसे कुछ बात करनी है।”

“जमाल मेरे सामने बैठ गया। मैं कुछ देर सोचता रहा कि बात कैसे और कहां से शुरू करूं। मैंने सीधा मुद्दे पर आने की सोची।”

“मैंने जमाल को कहा। “जमाल मेरी बात सुनो। तुम कह रहे हो अम्मी मर्द का साथ चाहती है, अम्मी की चूत को लंड चाहिए। तुम मुझे अम्मी को चोदने के लिए कह रहे हो। जमाल मेरा मन अम्मी के साथ जिस्मानी रिश्ते बनाने का नहीं मानता।”

“फिर मैंने धीमी आवाज में जमाल से कहा, “तुम मेरी बात सुनो। तुम पर अब्बू का बड़ा भरोसा था। मैं भी तुम पर उतना ही भरोसा करता हूं। मेरी एक बात मानोगे?”

“जमाल बोला, “कहिये असलम भाई।”

“मैंने जमाल से कहा, “जमाल तुम बना लो अम्मी के साथ जिस्मानी रिश्ते। तुम चोद लिया करो अम्मी को। तुम कर लिया करो उनकी चुदाई। दोपहर को कोइ ग्राहक नहीं आता। दुकान का शीशे का दरवाजा बंद ही रहता है। ना किसी को पता चलेगा। ना कोइ झंझट। मुझे तुम्हारी और अम्मी की इस चुदाई से कोइ एतराज नहीं होगा।”

“जमाल ने कहा, “असलम भाई ये क्या कह रहे हो आप। मैंने भाभी को उस नजर से कभी नहीं देखा। और फिर मेरी शादी हो चुकी है। मैं अपनी बीवी सायरा के साथ दगा कैसे कर सकता हूं।”

“मैंने कहा, “जमाल तुम्हें कोइ भी किसी से भी दगा करने को नहीं कह रहा। तुम ये समझो ये एक चालू और हालिया इंतजाम है, तुम्हारी जिम्मेदारी का हिस्सा है।”

“फिर मैंने कुछ रुक कर कहा, “और फिर तुम बताओ जमाल – ये एक बेटे की अपनी अम्मी की चुदाई से तो ठीक ही है।”

“जमाल कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला, “ठीक है असलम भाई जैसा आप ठीक समझें, लेकिन मैं भाभी को चुदाई के लिए कैसे कहूंगा? मैंने तो उनसे नजर मिला कर कभी बात भी नहीं की।”

“मैंने कहा, “जमाल हालात अगर यहां तक पहूंच गए हैं तो आगे भी कुछ ना कुछ हो ही जाएगा। तुमने कौन सा आज ही चुदाई करनी है। जब कभी मौक़ा आये और तुम्हें लगे कि अब कुछ हो सकता है तब अम्मी की साथ जिस्मानी रिश्ते बना लेना।”

“असलम बोला, “बस अम्मी, इस तरह आपके और जमाल की बेच चुदाई का रिश्ता बन गया।”

“असलम ये पूरी कहानी सुना कर चुप हो गया। असलम का हाथ अभी भी मेरी चूत को सहला रहा था।”

“मैंने असलम से कहा, “कमाल है असलम, और मुझे जरा सा भी शक नहीं हुआ कि मेरी चुदाई जमाल तुम्हारी रजामंदी से कर रहा था – अपनी जिम्मेदारी समझ कर?”

“असलम बोला, “अम्मी ये तो ऐसे ही चलता रहना था अगर जमाल का दुबई जाने की बात-बीच में ना आती। उसने ऐसे ही आपको चोदते रहना था और मेरी और आपको चोदने की जरूरत ही नहीं पड़नी थी।”

“इतना बोल कर असलम चुप हो गया। मैं सोचने लगी इतना कुछ हो गया और मुझे कुछ समझ ही नहीं आया। असलम और जमाल सब मुझे खुश देखना चाहते थे। उसके लिए एक बेटा अपनी अम्मी को एक नौकर से चुदवाने को तैयार हो गया? और जब हालात ने एक ऐसी करवट लेली तो वो बेटा खुद अपनी अम्मी की चुदाई कर रहा है?”

“मैने बस इतना ही कहा, “असलम तू मेरी खुशी लिए इतना कुछ कर रहा था, और मुझे पता ही नहीं था?”

“मेरा हाथ अचानक से असलम के लंड पर चला गया। असलम का हाथ तो मेरी चूत पर ही था।”

“मैं असलम के लंड पर हाथ फेर रही थी और असलम मेरी चूत सहला रहा था। असलम का लंड फिर से खड़ा होने लगा, और मेरी चूत फिर पानी छोड़ने लगी।

“असलम के लंड को खूंटा बनने में दस मिनट भी नहीं लगे और मेरी चूत में बाढ़ आ गयी।”

“अब कुछ नहीं हो सकता था सिवाए एक और चुदाई के। मसला खाली ये था कि चुदाई होनी कैसे थी।”

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अगला भाग पढ़े :- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-13

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