ट्रेन में मिले अंकल से गांड मरवाई

वर्जिन ऐस गांड फक कहानी में पढ़ें कि जवान होते होते मुझे लड़के अच्छे लगने लगे. मैं अपनी उंगली को गांड में डालने लगा, मुझे गांड में लंड लेने की इच्छा होने लगी.

नमस्ते सज्जनो और पाठको, आप सभी को मेरी गांड की तरफ से आपके लंड को सलामी.

यह वर्जिन ऐस गांड फक कहानी है ट्रेन के सफर में मिले एक अंकल जी से गांड चुदाई की!

वे अंकल जी कानपुर में पुलिस में थे और उधर मिले सरकारी क्वार्टर में रहते थे.

आगे बढ़ने से पहले मैं आप सभी को अपने बारे में बता देता हूँ.

मेरा नाम नितिन सिंह है. मैं इटावा उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र 25 साल की है.

मैं एक गे हूँ और अपनी गांड में मोटे व लंबे लंड लेना पसंद करता हूँ.

अभी मैं दिल्ली में रहता हूँ और अपनी डिटेल मैंने कई सोशल मीडिया पटलों पर डाली हुई है जिसके माध्यम से मुझे बहुत सारे लंड आसानी से मिल जाते हैं.

यह कहानी आज से पांच साल पहले की तब की है जब मेरी गांड मारी नहीं गई थी.
उस दिन मेरी गांड की ओपनिंग सेरेमनी हुई थी.

वैसे मैं अपनी गांड में लंबे वाले बैगन, खीरा, गाजर, मूली और कुछ अपने द्वारा बनाए गए उपकरण डालता रहता हूँ.

अपने द्वारा बनाए गए उपकरण मेरी अपनी जरूरत के हिसाब से ही मैंने बनाए थे, उनकी डिटेल भी मैं अपने जैसे गे दोस्तों को बताऊंगा.

शुरुआत कुछ ऐसी हुई थी कि मुझे जवान होते होते ही लड़कियों में रुचि कम हो गई थी.
मैं लड़कियों की जगह हैंडसम लड़कों में अपनी दिलचस्पी दिखाता था.

मुझे लंबे और गोरे लड़के काफी पसंद आने लगे थे.
फेसबुक पर मैं लड़की बन कर लड़कों से चैट करता और उनके कैमरे खुलवा कर उनके लौड़े देखता.

फिर मुझे बाथरूम में कमोड पर बैठ कर अपनी गांड धोते समय जेट स्प्रे के साथ साथ उंगली करना अच्छा लगने लगा.

उसी समय चिकनाई की जरूरत महसूस होने लगी थी, तो मैं शैंपू को अपनी उंगली में लेकर गांड में उंगली करने लगा था.
एक उंगली आसानी से चली जाने लगी थी, तो मैंने दो उंगलियों को अन्दर लेना शुरू किया.

उसके बाद बैगन खीरा आदि को बाथरूम में ले जाने लगा.
मगर उन सब्जियों में हार्डनेस नहीं होती है, जिस वजह से उनके गांड में टूट जाने का खतरा भी रहता था.
यही समस्या मोमबत्ती के साथ भी थी.

फिर एक दिन मैं बाजार में एक जनरल स्टोर पर गया था. उधर मुझे सैंट स्प्रे की शीशियां दिखाई दीं. उनके आकार एकदम लंड के आकार के लगे.
मैं देखने लगा. उसमें एक शीशी मुझे पसंद आ गई. उसका कैप कुछ नोकदार था और गोलाई लिए हुए था. साथ ही उसका ढक्कन कुछ ऐसा था कि नीचे तक आता था. मतलब शीशी का ढक्कन लगभग पूरी शीशी को ढक रहा था.

मैंने वो शीशी ले ली.
तब मैंने महसूस किया कि दुकानदार कुछ मुस्कुरा दिया.
मैं अन्दर ही अन्दर शर्म सी महसूस करने लगा.

फिर घर आकर मैंने उस शीशी के ढक्कन पर शैंपू लगाया और अपनी गांड में डाला.
उससे मुझे बड़ी लज्जत आई.

इसी तरह से मैंने अपनी गांड को बिना लंड के ढीला कर लिया था और अब मुझे एक मर्दाना लंड की जरूरत थी, जिसे मैं अपनी गांड में ले सकूँ.

इस बीच मुझे लड़कों की और आदमियों की गांड पर हाथ फेरने में भी मजा आने लगा था.
मैं भीड़भाड़ वाली जगहों पर चला जाता और उधर अपने हाथ से लोगों के लौड़े पकड़ कर आनंदित होता.

ऐसी जगहों में मुझे रेलवे स्टेशन पर टिकट की लाइन में भीड़ में हाथ रगड़ना अच्छा लगता था.

एक दिन मुझे अपने किसी निजी काम से कानपुर यूनिवर्सिटी जाना था तो मैं सुबह ही इटावा से ऊंचाहार एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचा.

वहां यूनिवर्सिटी दस बजे जाना था तो मैं कानपुर सेंट्रल पर ही समय व्यतीत कर रहा था.

इतने में मैंने देखा कि कुछ लोग आने जाने लगे और टिकट खिड़की पर भीड़ बढ़ने लगी.
मैं भी उधर पहुंच गया और लोगों के लंड पर हाथ लगाने लगा परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ.

मैं उदास हो गया और कुछ देर बाद यूनिवर्सिटी पहुंच गया.
उस वक्त करीब नौ बजे थे.

वहां से मैं जल्दी काम निपटा कर सीधा कानपुर सेंट्रल वापस आ गया और ट्रेन का इंतजार करने लगा.
जब ट्रेन आ गयी तो मैं जनरल डिब्बे में चढ़ा.

उसमें भीड़ ज्यादा ही थी तो मैं गेट से कुछ दूरी पर ही खड़ा हो गया और ट्रेन के चलने का इंतजार करने लगा.

ट्रेन अपने निर्धारित समय पर चलने लगी.
उसके बाद ट्रेन का अगला ठहराव पनकी था तो पनकी से बहुत भीड़ चढ़ी.

उसमें एक अंकल जी अपनी पुलिस की वर्दी में थे, वे भी मेरे पास ही खड़े हो गए.

वे दिखने में करीब पचास साल से ऊपर के रहे होंगे और शरीर भी उनका काफी हष्ट-पुष्ट था; अच्छी लम्बाई और चौड़ी छाती थी.
ट्रेन जब स्टेशन से निकल गई तो मैंने देखा कि अंकल जी ने मेरी कमर पर हाथ रख दिया था.

जब मैंने कुछ नहीं कहा, तो उनकी हिम्मत और बढ़ गई.
अब वे मेरी गांड पर हाथ घुमा कर बोले- बेटा कहां जाओगे?

मैंने बताया- इटावा.
हम दोनों आपस में बात करने लगे.

इतने में उन्होंने बताया- मुझे भी इटावा उतरना है. मैं अपने घर जा रहा हूँ.

अंकल जी- बेटा दिखने में तो सुन्दर लग रहे हो, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं- नहीं अंकल, अभी तक तो नहीं है.

अंकल जी- क्यों! मैं जब तुम्हारी उम्र का था, तो मेरी दो दो थीं और तुम्हारी एक भी नहीं … ऐसा नहीं हो सकता!
मैं- अंकल मुझे लड़कियों में ज्यादा लगाव नहीं है.

अंकल जी- तो क्या लड़कों में लगाव है?
ये कह कर वे मुस्कुराने लगे.

मैं- नहीं अंकल, वे नखरे ज्यादा करती हैं.

अंकल जी- तुम चिकने बहुत हो.
मैं- धन्यवाद. आप भी अच्छे दिखते हो.

इसके बाद मैंने अपनी क्रिया करते हुए अंकल जी पैंट पर हाथ टच किया तो अंकल जी थोड़ा आगे आकर मुझसे ऐसे चिपक गए ताकि किसी और को पता न लगे.

फिर मैंने अपना हाथ उनके लंड पर दबाया तो उनका लंड सलामी दे रहा था इतने में अंकल जी ने अपना मेरे हाथ पर रखा और अपने लंड को दबाने लगे.

फिर भीड़ का फायदा उठा कर अंकल जी की पैंट की चैन खोल दी.
जब मैंने चैन के अन्दर हाथ डाला तो शायद उन्होंने फ्रेंची पहनी हुयी थी.

मैंने धीरे धीरे उनका लंड अंडरवियर के बाहर निकाला और हाथ से रगड़ने लगा.

अंकल बोले- यहां ज्यादा मत करो, मेरा पानी निकल जाएगा. तुम इटावा में मेरे साथ चलना. स्टेशन के पास में ही मेरा मकान है, जो आज बिल्कुल खाली है.

मैंने पूछा- आपके घर वाले तो होंगे वहां?
तो उन्होंने बताया- सब गांव गए हुए हैं. घर में भतीजे की शादी है. मकान की एक चाबी मेरे पास रहती है. तुम अगर तैयार हो तो चल सकते हो. हम दोनों बहुत मजे करेंगे.
मैंने उन्हें हां कह दी और हम अपने स्टेशन के आने का इंतजार करने लगे.

इतने कुछ लोग उतरे तो कुछ चढ़ गए.
फिर कुछ समय बाद हमारा स्टेशन भी आ गया और हम उतर कर सीधे अंकल जी के घर आ गए, जो खाली था.

जब अंकल गेट लगा कर अन्दर आए तो वह मुझसे चिपक गए और चूमने लगे.
जल्दी से उन्होंने अपनी वर्दी उतार कर दरवाजे पर लटका दी.

उसके बाद मैंने भी अपने कपडे उतार कर रख दिए. हम दोनों सिर्फ अंडरवियर में थे.

मुझे काफी देर चूमने के बाद अंकल वाशरूम चले गए और नहा कर बाहर आए.
वे मुझसे भी नहाने को बोले और मैं वाशरूम में जाकर नहाने लगा.

अभी मैं नहा ही रहा था कि इतने में अंकल पीछे से आए और दोबारा किस करने लगे.

हम दोनों साथ में नहाने लगे.
मैंने उनका अंडरवियर उतार दिया.

उनका लंड कोबरा सांप की तरह फुंफकार रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे और गुत्थम गुत्था होने लगे.

उसके बाद मैं उनके सीने पर उठे हुए एक निप्पल को चूसते हुए नीचे बैठ गया और उनका लंड चूसने लगा.

करीब दस मिनट चूसने के बाद अंकल मेरे मुँह में ही झड़ गए.

उसके बाद अंकल मेरा लंड चूसने लगे और चूसते हुए ही उन्होंने मुझे पीछे घुमा दिया.
वे मेरी गांड के छेद को चाटने लगे और अपनी जीभ मेरी गांड में अन्दर करने लगे. वे साथ में मेरे लंड को भी सहला रहे थे.
कुछ देर के बाद मैं भी झड़ गया.

हम दोनों नहा कर बाहर आ गए और बिस्तर पर लेट कर 69 की पोजीशन में एन्जॉय करने लगे.
उन्होंने मेरी गांड को चाट चाट कर चिकना कर दिया था.

इधर मैंने उनके लंड को चूस कर दोबारा तैयार कर दिया था.
अब अंकल ने मुझे उठा कर कमरे से बाहर ले आए और बाहर लगी खाने की मेज पर लिटा दिया.

उसके बाद अंकल ने अपने लंड पर तेल लगाया और मेरी गांड पर रगड़ने लगे.
उन्होंने मेरी गांड में भी ढेर सारा तेल लगा कर अन्दर तक उंगली से चिकनी कर दी.
ताकि उनका लंड आसानी से अन्दर जा सके.

मेरी कम उम्र होने के कारण मेरी गांड टाइट थी.
फिर जब उन्होंने अपना लंड मेरी गांड पर सैट किया तो मैं समझ गया कि अब हमला होने वाला है.

उन्होंने धीरे से अपने लंड को मेरी गांड पर दबाया तो उनके लंड का टोपा मेरी गांड में उतरने लगा था.
मैंने जैसे ही गांड ढीली की कि उतने में उन्होंने एक तेज झटका दे दिया और आधा लंड अन्दर कर दिया.

मुझे बहुत दर्द हुआ.

जैसे ही मैं दर्द की वजह से चिल्लाने वाला था कि उन्होंने झट से अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और मेरी आवाज दबा दी.
उसी पल अंकल ने अपने लंड को वहीं रोक दिया और मुझे सहलाने लगे.

जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो दोबारा से एक और झटका दे दिया.
इस बार उनका पूरा लंड मेरी गांड में उतर चुका था.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था.

जब दर्द कम हुआ तो उन्होंने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

कुछ ही मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा.
करीब बीस मिनट बाद अंकल ने गांड चोदने की स्पीड तेज कर दी.
इससे मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं अंकल को अपनी गांड की तरफ़ खींचने लगा था.

उसके बाद अंकल के लंड ने मेरी गांड में पिचकारी छोड़ दी और वे मेरे ऊपर ही लेट गए.

हम दोनों थक गए थे तो थोड़ा आराम करने लगे.
मैं सो गया था क्योंकि मैं सुबह जल्दी जाग गया था.
फिर जब मैं जागा, तो अंकल ने मुझे किस किया और बाथरूम चले गए.

थोड़ी देर बाद जब अंकल बाहर आए, तो दोबारा मुझे चूमने लगे और मैं भी मूड में आने लगा.
अंकल जी ने मुझे फिर से एक बार पेला और मुझे अपना नंबर दे कर कहा- जब भी कानपुर आओ, तो वहां मिलना. मैं वहां अकेला रहता हूँ.

उसके बाद मैं फिर एक बार किसी काम से कानपुर गया था, तो अंकल से मिलकर आया था.
उस दिन भी उन्होंने मुझे अच्छे से अपने लंड की सवारी करवाई और मैं घर आ गया.
उसके बाद अब दिल्ली में रहने लगा हूँ तो कभी कानपुर जा ही नहीं पाया.

लव यू अंकल
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