छोटे ट्रक में सेक्स का नंगा खेल

Xxx डर्टी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मजबूरी में मुझे अपनी जवान बेटी के साथ एक छोटे ट्रक में पीछे बैठना पड़ा. वहां एक जवान लड़का भी बैठा था. उस लड़के ने हम दोनों माँ बेटी के साथ क्या खेल खेला.

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Xxx Dirty Sex Kahani

मेरे प्यारे दोस्तो, मैं एक बहुत गर्म सेक्सी हिजाबी बुर्के वाली औरत हूँ.
मेरे अब्बू अम्मी ने मेरा नाम अफसार रखा था.

अब मेरी उम्र 39 साल है और मैंने नौवें दर्जे तक की पढ़ाई कर रखी है।

मैं बहराइच जिले की जरवल कस्बे की रहने वाली हूँ.
मेरा रंग सांवला है मेरा शरीर फिट है कमर पर से काफी फैला हुआ है.

मेरी शादी 19 साल की उम्र में ही कर दी गयी थी और 20 साल उम्र में ही मेरी एक लड़की भी पैदा हो गयी थी.

मेरे शौहर आबिद सऊदी में काम करते हैं और साल भर में 15-20 दिन ही साथ में रह पाते हैं इसीलिए मुझे घर और बाहर के सारे काम भी करने पड़ते हैं।

आज अपनी जिन्दगी की एक सेक्स घटना इस Xxx डर्टी सेक्स कहानी में बताने जा रही हूँ।

यूँ तो सब ठीक ही चल रहा था पर हमारी जमीन के एक हिस्से का एक केस लखनऊ में चल रहा था जिसके सिलसिले में मुझे कई बार वहां जाना पड़ता था।
अभी पिछले हफ्ते मुझे फिर से वहाँ जाना पड़ा.

मुझे 2-3 दिन से थोड़ा सा बुखार लग रहा था तो सोचा कि अपनी बेटी को भी साथ ले लेती हूं सहारे के लिए।

गर्मियों का मौसम था और मैं पिछले 2 दिनों से नहा भी नहीं पाई थी. तो मेरे शरीर से थोड़ी बदबू भी आने लगी थी.
इसी हाल में जो कपड़े मैंने पहन रखे थे, उसी पर बुर्का डाल कर, रुखसार (मेरी बेटी) को साथ लेकर निकल गयी.

रुखसार की उम्र तो 19 है पर वो अभी भी स्कूल में पढ़ती है।
उसके पूरे चेहरे पर मुहासे हो रहे हैं और दाहिने गाल पर कुछ गड्ढे से हैं.

उसकी लंबाई 5 फ़ीट 6 इंच है।
उसका रंग मुझसे साफ है और गठीला शरीर है।

लखनऊ जाते समय तो हमें ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
पर जब हम वहाँ पहुंची तो मुझे माहवारी आने की वजह से मेरी चड्डी खराब हो गयी.
तो मैंने सुलभ शौचालय में जाकर चड्डी निकल कर पर्स में रख ली, जिससे सलवार फांकों के बीच घुस गयी.

शुक्र है कि मैंने बुर्का पहन रखा था।

वापसी आते टाइम बस वालों की हड़ताल की वजह से बस नहीं मिल रही थी.

जून का महीना और गर्मी से मैं और रुखसार परेशान हो रही थी और बस स्टॉप पर किसी गाड़ी की तलाश में भटक रही थी.

रुखसार ने अपने ऊपर कपड़ा लपेट रखा था और वो सरकता जा रहा था तो कुरते में उसे बार बार अपने दूध संभालने पड़ रहे थे. उसकी मोटी घुंडी कुर्ते के बाहर से ही पता चल रही थी.

यह देखते हुए मैंने जल्दी निकलना ही ठीक समझा.

तभी एक छोटा हाथी (माल ढोने वाली छोटी गाड़ी) वहाँ से गुजर रहा था.
मैंने उसे हाथ देकर रोका और पूछा कि अगर वह हमें लिफ्ट दे दे तो!

काफी देर की मिन्नत के बाद वह हमें ले जाने को तैयार हुआ।
उसने हमें पीछे बैठने को कहा.

कोई अन्य रास्ता न होने के कारण हम दोनों माँ बेटी पीछे बैठ गई.
उसी गाड़ी में 2 और लोग थे एक 65 साल की औरत और एक 22 – 24 साल का दुबला और सांवला एक लड़का।

और बुढ़िया तो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी तो उसे एक किनारे हमने लिटा दिया और हम भी बैठ गई।

मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही थी और पूरे शरीर से पसीने की गंदी बदबू आ रही थी।
रुखसार भी गर्मी से परेशान हो रही थी पर उसने इत्र लगा रखा था तो उसके जिस्म से इत्र की खुशबू आ रही थी।

गाड़ी चल पड़ी थी.

तभी गाड़ी में हल्का सा झटका लगने से रुखसार उस लड़के से टकरा गई.
पर लड़का शरीफ था, उसने खुद सॉरी बोला।

मैं और रुखसार आपस में बात करती जा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि रुखसार मेरी बात का जवाब थोड़ी देर लगाकर देने लगी.
मुझे लगा शायद उसे गाड़ी के चलने के शोर में कम सुनाई दे रहा था.

पर जब मेरी नज़र उसके चेहरे की तरफ गयी तो मैंने देखा कि उसका मुंह खुला हुआ है और उसकी सांसें भी तेजी से चल रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वह घबरा कर बोली- कुछ नहीं … थोड़ा लैट्रीन सी आ रही है.

मैंने पूछा- गाड़ी रुकवानी है क्या?
इस पर वह एकदम झटके से बोली- इतनी तेज नहीं लगी, रहने दो।

पर मैंने फिर उसकी तरफ देखा तो एक हाथ से वह अपनी छाती सहला रही थी जिससे उसके ऊपर का कपड़ा हट गया था, उसके दूध दिख रहे थे.
उसके दोनों होंठ थोड़े से खुले थे और बीच में लार से भरी जीभ दिख रही थी और ऊपर की तरफ देख रही थी।

मुझे कुछ शक हुआ.
फिर मेरा ध्यान उस लड़के के हाथ पर गया.
मैं क्या देखती हूं कि रुखसार उसकी हथेली पर हल्का तिरछी होकर बैठी है और हाथ से ऊपर गाड़ी में लगे डंडे को ऐसे पकड़ रखा था कि उसकी बगल के बाल उस लड़के के नाक और मुँह से रगड़ खा रहे थे।
और वह बीच बीच में उसके बगल में से पसीना चुस्की की तरह चूस रहा था।

मैंने तुरंत उसको धक्का देकर अलग किया और दोनों के बीच में जाकर बैठ गयी।
लड़का और रुखसार दोनों अब मेरी तरफ देख नहीं पा रहे थे।

मैंने नक़ाब उतारा और जब मैं लड़के को घूर के देख रही थी तो वह नज़रें चुरा रहा था.
तब मैंने उससे कहा- शर्म नहीं आती तुम्हें?
इस पर वह चुप रहा।

मेरे बुरके में पसीने के सूख जाने के बाद सफेद निशान से पड़ गए थे. मेरा पूरा शरीर गंध से भरा था.

मैंने बुखार उतारने के लिए पेरासिटामोल खाई थी तो बुखार कम हो रहा था जिससे और पसीना आ गया।

अब थोड़ा अंधेरा सा होना शुरू होने लगा था और हमारी गाड़ी रास्ते में जाम में फंसी होने के कारण खड़ी रही काफी देर!

मेरे दिमाग से रुखसार और उस लड़के की तस्वीर निकल ही नहीं रही थी कि जिस तरह से वह बगल के पसीने को चूस रहा था.
रुखसार की आंखें तो वासना से अभी तक चढ़ी सी लग रही थी.

ये सब देखकर मुझे गुस्सा भी आया.
तभी मैंने सोचा कि इस लड़के को सबक सिखाती हूं.

पर फिर रुखसार को उत्तेजित होती देख मैं भी थोड़ी उत्तेजना महसूस करने लगी, शरीर पसीने और पानी दोनों निकलने से और भी बदबूदार होने लगा था।

मैं ये सब सोच ही रही थी कि वो लड़का इतनी देर में सरकते सरकते मेरे काफी पास आ गया और ब्रेकर पर गाड़ी के हल्के से उछलने के साथ उसकी कोहनी हल्के से मेरी बांह पर लगी।

मैंने हल्का सा झुक कर दूध हल्के से कोहनी से छुआ कर हटा लिए।
उसकी छुअन से सरसरी सी दौड़ गयी.
इस पर मैं ही थोड़ा सा और उसकी तरफ झुक गयी और उस लड़के के दूसरी तरफ रखे अपने पर्स को उठाने का नाटक करने लगी जिससे मेरी पसली का हिस्सा उसके हाथ से थोड़ा सा छू गया।

उसने तुरंत पूछा- लगी तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं।

तभी मैंने भी अपना हाथ डंडा पकड़ने के लिए उठा लिया और उसकी तरफ देखा।

अब तक हल्का अंधेरा हो चुका था. बुढ़िया तो कोने में पड़ी दिख भी नहीं रही थी.

रुखसार मेरी तरफ घूर कर देख रही थी.
मैंने भी उसकी तरफ से नज़र हटा कर लड़के को फिर से देखा.

वह कुछ झिझक रहा था.
मैंने छाती फुलाते हुए गहरी सांस लेते हुए पूछा- क्या पसीने की बदबू ज्यादा लग रही है? दूर क्यों बैठे हो?

इस पर वो थोड़ा सा पास और आया.

मैंने कहा- रुखसार के तो बहुत चिपके जा रहे थे मेरे पसीने से घिन आ रही क्या?
तो वह बोला- यह पसीना तो क्या … तुम्हारा मूत भी अगर तुम दे दो तो मैं गिलास में भर कर पी जाऊं!

यह बोलते ही उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और बुरके के ऊपर से बगल और दूध चूसने लगा।

अब रोशनी कम थी तो मैंने मौका देख कर अपनी ब्रा अंदर से सरका ली.
वह ऊपर से ही निप्पलों को काटने लगा.

मैंने लड़के के बाल पकड़े और अपनी टांगें खोल दी.
वह तुरंत मेरी टांगों के बीच लेट में गया.

मैंने घुटने मोड़ लिए और उसकी छाती तक के हिस्से को बुर्के में ही ढक दिया.
उसने अपनी नाक मेरी सलवार में घुसा रखी थी.

वहां की बदबू मुझे बाहर तक आ रही थी पर वो लड़का सलवार के ऊपर से ही चूसने में लगा था और उसने चूत के पास वाला सलवार का खून लगा हुआ हिस्सा दांत से काट भी दिया.

मेरी झांटों के बाल बहुत बड़े हो रहे थे.

ये सब चल ही रहा था कि मैं क्या देखती हूं कि रुखसार की गाढ़ी लार बह रही थी, उसकी सांसें फिर से तेज़ हो रही थी.
लड़के का एक हाथ सलवार के अंदर मेरी जाँघे रगड़ रहा था तो दूसरा रुखसार की बुर में तेज़ी से चल रहा था.

रुखसार का बुर्का उसकी कमर तक सरका हुआ था, उसकी पूरी टांगें, जांघें और बुर पूरी नंगी दिख रही थी.
उसकी चोटी इतनी लंबी थी कि वो उसकी बुर से छू रही थी.

लड़के ने चोटी किनारे करके काम जारी रखा.

रुखसार की बुर काफी बड़ी थी उसे देखकर मैं दंग रह गयी.

फिर मैंने उसे अनदेखा करते हुए लड़के के सर को पकड़ कर अपनी बुर की तरफ और दबा कर टांगे बन्द कर ली।
उसने तभी अपना हाथ मेरी जांघ पर से हटा कर अपनी उंगली मेरी गांड में डालने लगा.

पहले तो मैं बैठी रही फिर मैं भी हल्का सा उठ गई और उंगली को रास्ता दे दिया और गांड कस ली.

गाड़ी के शोर में भी उसकी चाटने और उंगलियों की छप्प छप्प की आवाज आ रही थी.

रुखसार का शरीर ऐंठने लगा था उसके कुर्ते के ऊपर से काली घुंडी बिल्कुल सख्त हो चुकी थी.
उसकी आंखें चढ़ रही थी और दूध भी फूल गए थे.

रुखसार ने अपने होंठ मेरी गर्दन पर रख दिये और मुझसे लिपट गयी, कान में ‘हाय अम्मी … हाय अम्मी’ बुदबुदाने लगी.
फिर वह मेरे बाल पकड़ कर मेरा ममुंह अपनी छाती पर लगाकर ‘चूस अम्मी … चूस अम्मी’ बोलने लगी.

कंपकपी के साथ दोनों का पानी 1-2 सेकंड के अंतर से निकल गया और वो लड़का मेरा पानी भी पी गया।
उसने अपना सिर निकाला मेरी और रुखसार दोनों की दूध की घुंडी को चार पांच बार मसला।
उसके होठों पर मेरी झांट के बाल चिपके हुए थे.
मैंने इशारा किया तो जीभ से झांट के बाल उसने मुंह में लेकर निगल गया और रुखसार की बुर वाली उंगली और मेरी गांड वाली उंगलियां सूंघ कर चाटने लगा।

मैंने भी शर्म छोड़ी और रुखसार को बोल कर बेचारे का भी पानी निकालने के लिए बोला.

उसने खुशी खुशी उसका लंड अपने लार और थूक से भरे मुंह में लेकर थोड़ी ही देर में उसे फ़ारिग कर दिया।
लड़के ने रुखसार के बाल पकड़ रखे थे.

मैंने उसके फारिग होने के साथ ही धक्का देकर अलग करना चाहा पर तब तक रुखसार सारा रस पी चुकी थी।
रुखसार का चेहरा गंदा हो रहा था पसीना, लार और उसके वीर्य से!

रुखसार का गला वीर्य से रुंध गया था.

20 मिनट हम चुपचाप बैठे रहे।

बुढ़िया को भी हमने आवाज देकर उठाना चाहा यह सोचकर कि शायद वो पूरे रास्ते सोते हुए आयी थी.
पर वह नहीं उठी.

हमने उसे उठाने के लिए चादर खींची तो देखा उसने अपने लटकते थन खोल रखे थे और वो भी अपनी चूत रगड़ रही थी।

इस पर उस लड़के और हमने तय किया कि बुढ़िया भी क्यों तरसती रहे!
हमने मिल कर उसकी सिकुड़ी चूत को उसकी घनी सफेद झांटों के ऊपर से रगड़ कर उसे भी चरमसुख दिला कर ही छोड़ा.

मैं यह अहसास जल्दी न भूलूं, इसलिए मैं अगले कई दिनों तक नहीं नहायी।

रुख़सार भी अब अक्सर रात में मेरे साथ मिलकर उंगली करती है।

आगे भी कुछ ऐसी ही घटनायें हुई जो मैं आने वाली कहानियों में बताऊंगी।
यह Xxx डर्टी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताना।
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