चूत और लण्ड का एक ही रिश्ता- 1

Xxx सिस्टर की चुदाई देखी मैंने अपनी आँखों से! मेरी बुआ हमारे घर आई हुई थी. वे मेरे बगल वाले कमरे में सो रही थी. बीच रात में पापा बुआ के कमरे में गए.

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Xxx sister Ki Chudai

दोस्तो,
आपने मेरी पिछली कहानी
मेरी सहेली ने मुझे अपने पापा से चुदवाया
पढ़ी और पसंद की. इसके लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद.

आप सबके सैकड़ों मेल मुझे मिल रहे हैं मैं कोशिश करती हूँ कि जितना हो सके सबका जवाब देती हूँ।
लेकिन इतने ईमेल का जवाब देना मुश्किल हो जाता है तो जिनका जवाब नहीं दे पाती तो उनसे माफी मांग रही हूँ।

चलिए सीधा आते हैं आगे की Xxx सिस्टर की चुदाई कहानी पर:

ज्योति के पापा से अपनी चुदाई करवाने के बाद मैं घर लौट आयी।

घर पहुंची तो मम्मी और बुआ भी खाना खाकर आराम कर रही थीं।

दोपहर का टाइम था।

मेरी चूत से दो-दो बार पानी निकल चुका था तो मैं आराम भी करना चाह रही थी।
और फिर आज रात में भी जगकर पापा और बुआ का खेल देखना था तो मैंने सोचा कि दिन में ही सो लिया जाए ताकि रात में जाग सकूं.
तो मैं भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई।

मैं बिस्तर पर तो आ गयी पर मेरी नींद नहीं लग रही थी, मेरे दिमाग में कई तरह के ख्याल आ रहे थे।
मेरे दिमाग में बार-बार ज्योति की वो बात गूंज रही थी जो उसने मेरे पापा के बारे में कहा था कि मेरे पापा चोरी-चोरी उसकी चूची और गांड देखते हैं।
फिर पापा को पटाने वाली बात भी उसने बोली थी।

मैं भी सोच रही थी कि पापा जब अपनी बहन (बुआ) की चुदाई कर सकते हैं तो मौका मिलने पर वे अपनी बेटी को भी चोद सकते हैं.
और आखिर वे बेटी की सखी को भी तो चोरी-चोरी कामुक नजरों से देखते हैं।

तब मैं सोचने लगी कि ज्योति सही कह रही है कि कब तक मैं उसके पापा से चूत की खुजली मिटाऊंगी; क्यों न अपने ही पापा को पटा लूँ।
और जब भाई से चुदाई करवा चुकी हूँ तो फिर पापा से भी चुदाई करवाने में क्या हर्ज है।

खैर यही सब सोचते-सोचते मैं सो गयी.
जब मेरी आंख खुली तो शाम हो चुकी थी।

मैं कमरे से नीचे आई तो देखा कि पापा ऑफिस से आ चुके थे और अपने कमरे में टीवी देख रहे थे।

अब मैं रात होने का इंतज़ार करने लगी ताकि पापा और बुआ की चुदाई देख सकूँ।

लेकिन साथ-साथ मेरे दिमाग में ज्योति की बातें और पापा से चुदाई वाली बात अभी भी घूम रही थी।

फिर मैंने पक्का इरादा कर लिया कि अब मैं अपने पापा को भी पटा कर अपने घर में ही एक और लण्ड का जुगाड़ करुंगी।

वैसे भी चूत और लण्ड का सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का!
बस पापा को कैसे पटाया जाए …मैं यह सोचने लगी।

अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।
मैंने सोच लिया कि मुझे क्या करना है और ये भी कि जो करना है बुआ के रहते ही करना होगा।
क्योंकि फिर उनके जाने के बाद जल्दी मौका नहीं मिलेगा।

खैर जैसे तैसे रात हुई, खाना वगैरह खाकर सब अपने कमरे में सोने चले गए।

मैं और बुआ साथ ही ऊपर आई।
बुआ अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में आ गई।

मैंने टाइम देखा तो रात के 11 बज रहे थे।
मैं सोच रही थी कि पापा कल के ही टाइम यानि 1 बजे तक आएंगे ताकि मम्मी और मैं नींद में सो चुके हों।

कमरे में आते ही मैंने अपनी योजना के अनुसार काम शुरू कर दिया।

दरवाजा बंद करके मैंने अपने कपड़े बदले और लैगिंग उतार कर पुरानी स्कूल के टाइम की ऐसी छोटी स्कर्ट पहन ली जिसमें मुश्किल से मेरी पूरी जांघ ढक पा रही थी।
ऊपर मैंने टी-शर्ट पहन ली थी.

तब मैंने दरवाजे को अनलॉक कर दिया ताकि बाहर से दरवाजा खुल सके।
फिर मैंने नाइट बल्ब ऑन किया और बिस्तर पर आकर लेट गई।

वैसे तो मैं अँधेरा करके सोती थी मगर आज मैंने जानबूझ कर नाइट बल्ब ऑन किया था।
नाइट बल्ब की रोशनी इतनी थी कि आराम से हर चीज साफ-साफ दिखाई दे रही थी।

मेरी योजना यह थी कि मैं आज पापा को अपनी चिकनी और गोरी जांघ की झलक दिखा देना चाह रही थी।
क्योंकि जब तक बुआ हैं तभी पापा उनकी चुदाई के चक्कर में ऊपर आएंगे वरना बुआ के जाने के बाद रात में ऊपर आने से रहे।

तो मेरे लिए उनको पटाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
और बुआ भी बस 2-3 दिन और हमारे घर में रहने वाली थी इसलिए आज ही से मुझे शुरुआत करनी थी।

मुझे पता था कि रात में बुआ के कमरे में जाने से पहले पापा कल की तरह एक बार मेरे कमरे में जरूर चेक करेंगे कि मैं सो गई या नहीं।

खैर … बिस्तर पर आकर अब 1 बजे का इंतजार करने लगी।
टाइम देखा 11.30 बजे तक. अभी करीब 1-1.30 घंटे का टाइम है।

मेरा तो टाइम ही नहीं कट रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं!

डर था कि कहीं सो गयी और नींद आ गयी तो सारी योजना चौपट हो जाएगी।

फिर टाइम पास के लिए मैं मोबाइल में पोर्न स्टोरीज पढ़ने लगी।

स्टोरीज पढ़ते हुए 12.15 हो गये।

जैसे-जैसे समय बीत रहा था मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी।
मैंने मोबाइल बंद कर किनारे रख दिया और पीठ के बल लेट गई और अपनी स्कर्ट को थोड़ा ऐसे खींच कर ऊपर कर दिया कि पैंटी थोड़ा सा ढकी रहे बाकी मस्त चिकनी जांघ पापा को दिखाई दे।

अभी ये सब करते हुए कुछ ही देर हुई थी कि सीढ़ी से हल्की सी आवाज आई।
टाइम देखा तो 12.30 बजे थे.
मैं समझ गई कि पापा आ रहे हैं।

मैं अपने हाथ से आंख और माथे को ढक कर सोने का नाटक करने लगी।

हाथ को मैंने इस तरह से आंख पर रखा था कि उसके नीचे से मैं पापा की हरकतों को देख सकूं।

मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

अचानक मेरे दरवाजे के पास आकर चलने की आवाज बंद हो गई, मैं समझ गई कि पापा मेरे दरवाजे के सामने रुके हैं।

तभी दरवाजे का हैंडल धीरे-धीरे नीचे की तरफ घूमने लगा और फिर थोड़ा रुक कर दरवाजा बहुत थोड़ा सा खुला।
कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था.

करीब 10-15 सेकेंड तक दरवाजा वैसे ही रहा।
फिर दरवाजा थोड़ा और खुला अब दरवाजे के पीछे पापा एकदम साफ दिखायी दे रहे थे।

कल पापा 10-15 सेकंड बाद मेरे कमरे का दरवाजा बंद कर के बुआ के कमरे में चले गए।
मगर आज करीब 1 मिनट हो गया था और पापा दरवाजे पर ही थे।

मेरी योजना काम कर रही थी, पापा मेरी चिकनी जाँघों को देखने के चक्कर में अपनी बहन की चुदाई करने नहीं जा रहे थे।
हालांकि इस दौरान मेरा दिल इस कदर तेजी से धड़क रहा था कि मैं धड़कन को सुन सकती थी।

करीब 2 मिनट बीत गए, पापा उसी तरह खड़े रहे और मैं भी उसे तरह तरह लेटी रही।

अभी मैं कुछ और सोचती कि अचानक मैंने जो देखा उसे मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई।
दरअसल पापा मुझे और करीब से देखने के चक्कर में दरवाजे से थोड़ा अंदर तक आ गए थे।

मेरी निगाह जैसे ही नीचे गई तो देखा कि पापा अपने लंड को लुंगी के ऊपर से सहला रहे थे और मेरी जांघ को एकटक देख रहे थे।

अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज ही पापा को अपनी गांड के भी दर्शन करा दूं।

मैं जानती थी कि मेरी स्कर्ट इतनी छोटी है कि अगर मैं करवट बदल कर गांड को पापा की तरफ कर दूं तो स्कर्ट मेरी गांड को जरा भी ढक नहीं पाएगी।

बस मैंने बिना देर किए नींद में करवट बदलने का नाटक करते हुए अपनी गांड पापा की तरफ घुमा कर सो गई।
मैंने जानबूझ कर इस तरह करवट बदली थी कि मेरी पूरी स्कर्ट खिसक कर मेरी कमर तक पर आ गई थी।

अब पापा की निगाह और मेरी गांड के बीच में सिर्फ मेरी पतली सी पैंटी थी।
पैंटी तो वैसे भी मेरी गांड को ढक नहीं पाती थी और वो गोल गांड के दोनों दरारों के बीच में चली जाती थी।

हालांकि मैं अब पापा को देख नहीं पा रही थी मगर इतना जरूर जान रही थी कि पापा को मेरी गांड दिख रही है।

इस तरह लेटे हुए मुझे करीब 2 मिनट हो गए.
तभी मुझे धीरे से दरवाजा बंद होने की आवाज आई।

मैं समझ गई कि पापा कमरे से चले गए हैं।
फिर मुझे बुआ के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैं पापा Xxx सिस्टर की चुदाई करने चले गए हैं।

मैं धीरे से पलटी और उठ कर पीछे की बालकनी का दरवाजा धीरे से खोल कर कल की तरह बुआ के कमरे की खिड़की के पास जाकर बैठ गई और अंदर देखने लगी।

अंदर पापा सिर्फ बनियान में थे, उन्होंने अपनी लुंगी उतार दी थी।
उनका लंड एकदम तन कर खड़ा था, मुझे समझ आ गया कि अपनी बेटी की गांड देख कर उनका लंड खड़ा है।
बुआ चादर ओढ़ कर सोयी थीं।

पापा बिस्तर के किनारे जिधर बुआ सोई थी उनके बगल जाकर खड़े हो गए और बुआ जिस चादर को ओढ़ कर सो रही थी, उसे धीरे से उनके ऊपर से हटा दिया।

मैंने देखा कि बुआ सिर्फ ऊपर कुर्ती पहन कर सो रही थी और नीचे उन्होंने कुछ भी नहीं पहना था।
पापा के चादर हटाने पर बुआ करवा बदल कर सो गई.
अब उनकी गांड पापा की तरफ हो गई थी।

बुआ की कुर्ती को पकड़ कर पापा ने कमर के ऊपर तक खिसका दिया, जिससे बुआ की नंगी गांड दिखने लगी।
पापा का लंड अब बुआ की गांड के थोड़ा ऊपर तक आ रहा था।

तब पापा झुके और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर पीछे से बुआ की चूत पर रख कर एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिये।
बुआ हल्का सा चिहुक उठीं।

10-15 सेकंड रुकने के बाद पापा ने कमर हिला कर चुदाई शुरू कर दी.
इधर मेरा हाथ भी चूत तक पहुंच गया था और चूत में उंगली डाल कर तेजी से अंदर बाहर करने लगी।

उधर पापा आंख बंद कर तेजी से बुआ को चोद रहे थे।
मुझे लग रहा था कि पापा शायद मेरे बारे में सोच कर बुआ को चोद रहे थे क्योंकि कल रात में कली की चुदाई करते वक्त पापा ने एक बार भी आँख बंद नहीं की थी।

पापा को अभी चुदाई करते हुए 2-3 मिनट ही हुए होंगे कि पापा रुक-रुक कर कमर को तेज झटका देने लगे.
शायद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया था।
आज पापा जल्दी झड़ गये।

इधर मैं तेजी से अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी।

फिर ये सोच कर कि कहीं लौटते समय फिर पापा दरवाजा ना खोल कर झांकने लगे, मैं अपने कमरे में आ गई।

मेरी चूत ने अभी पानी नहीं छोड़ा था तो मैं पापा के जाने का इंतजार करने लगी ताकि जल्दी से मैं चूत का पानी निकालूं।

करीब 1-2 मिनट बाद बुआ के कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटी रही।

तभी सीढ़ी से धीरे-धीरे नीचे उतरने की आवाज आने लगी, मुझे समझ आ गया कि पापा चले गए हैं।

उसके बाद मैंने उठ कर नाइट बल्ब बंद किया और बिस्तर पर आकर अपनी चूत में उंगली करने लगी।

करीब 5 मिनट बाद तेज झटका देते हुए मैंने पानी छोड़ दिया।
फिर मैं उसी तरह सो गई।

अगले दिन सुबह 8 बजे नींद खुली।

ज्योति की रिलेशन में कोई शादी थी इसलिए वो करीब एक हफ्ते के लिए बाहर गई थी.
तो मैं भी कॉलेज नहीं गई; दिन भर घर में ही रही.

पापा के सामने पड़ने पर वे और मैं दोनों एकदम नॉर्मल रहे।
हालांकि मैंने महसूस किया कि पापा चोरी से कई बार मुझे देख रहे थे, साथ ही मुझसे किसी ना किसी बहाने ज्यादा बात भी कर रहे थे।

दोस्तो, मेरी यह कहानी 8 भागों में प्रकाशित होगी.
Xxx सिस्टर की चुदाई कहानी आपको कैसी लग रही है, मुझे ज़रूर बताइयेगा।
मेरी मेल आईडी है
[email protected]

Xxx सिस्टर की चुदाई कहानी का अगला भाग: चूत और लण्ड का एक ही रिश्ता- 2

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